मुल्तवी हैं ख़ाब इन दिनों
सुलग रही है बर्फ़
कश्मीर में इन दिनो
कहते हैं बहुत सर्द था पानी
झेलम और चिनाब में
घुल गया है दरियाओं में
लहू इन दिनो
खूबसूरत आंखों में
चिन्गारियां हैं
दिल तब्दील हो गये हैं
पत्थरों में.
मुट्ठियों मे दिल लिए
उछाल रहे हैं लोग,
मौत का खौफ़ नहीं है
दिलों में इन दिनो.
अपने तमाम लाव-लश्कर
फ़ौज-तोप-बन्दूक-पैलेट गनों
के बावजूद
जब हुकूमत के माथे पर
पड़ने लगे सलवटें
तो जानो
कश्मीर में
मुल्तवी है
ख़ाब इन दिनो.
क्योंकि
आज़ादी अब ख़ाब नहीं
जीने-मरने का
सलीक़ा बन चुका है
कश्मीर एक उमड़ता
सैलाब है इन दिनो….